NIOS 10th Hindi Chapter 2 | कक्षा 10 हिंदी दोहे प्रश्न उत्तर

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न : 1. कबीर के अनुसार ऊँचे कुल में जन्म लेने पर भी आदमी निंदा का पात्र होता है, जब वह-

(क) अच्छे कर्म नहीं करता

(ख) सुरापान करता है

(ग) साधुओं का सत्संग करता है

(घ) धन को इकट्ठा नहीं होने देता

उत्तर : (क) अच्छे कर्म नहीं करता

प्रश्न : 2. अच्छा गुरु-

(क) स्वभाव को निर्मल बनाता है

(ख) घर में धन बढ़वाता है

(ग) रास्ते में फूल बोता है

(घ) कमियों को दूर करता है

उत्तर : 

प्रश्न : 3. कबीर ने दोहे में जल की तुलना किससे की है?

(क) नाव से

(ख) धन से

(ग) हाथों से

(घ) सयानेपन से

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः

प्रश्न : 1. रहीम के अनुसार खून, खाँसी, खुसी, वैर, प्रीति और मदपान के अतिरिक्त और कौन-सी चीज़ छिपाए नहीं छिपती?

(क) कत्था

(ग) ऊँचा कुल

(ख) खुशबू

(घ) चोरी

प्रश्न : 2. ‘अब दादुर बक्ता भए’ से कवि का क्या आशय है?

(क) मूर्ख मंच पर आ पहुँचे

(ख) समझदारों की इज्ज़त होती है

(ग) मेंढकों ने कूकना शुरू कर दिया

(घ) कोयल ने मौन साध लिया।

प्रश्न : 3. “पावस देखि रहीम मन कोइल साधै मौन अब दादुर बक्ता भए, हमको पूछत कौन”

ऊपर दिए गए दोहे में कौन-सा अलंकार है?

(क) दृष्टांत

(ख) उपमा

(ग) रूपक

(घ) अन्योक्ति

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए |

प्रश्न : 1. अभ्यास करने का अर्थ होता है-

(क) किसी काम को जल्दी करने लगना

(ख) कार्य-कारण संबंध सीख जाना

(ग) निरंतर कार्य करके उसमें कुशलता पाना

(घ) बहस करके सीख जाना

प्रश्न : 2. हिंदी की किस उपभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्वतंत्र भाषा का दर्जा प्राप्त है?

(क) ब्रज

(ख) भोजपुरी

(ग) मैथिली

(घ) कुमाउँनी

प्रश्न : 1. निम्नलिखित दोहे का भाव स्पष्ट करते हुए अपनी टिप्पणी कीजिए:

       निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।

       बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करत सुभाय ।।

उत्तर : 

कवि कबीर अपने इस दोहे में यह संदेश देते हैं कि हमें अपनी बुराई या निंदा करने वालों को अपने पास रखना चाहिए और उनका आदर करना चाहिए। वे हमारे दोषों और कमजोरियों को उजागर करते हैं, जिससे हमें अपने भीतर सुधार करने का अवसर मिलता है। उनकी आलोचना हमारे लिए किसी सफाईकर्मी की तरह होती है, जो बिना पानी और साबुन के ही हमारे स्वभाव और आचरण को शुद्ध और पवित्र बना देती है।

प्रश्न : 2. ‘गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि कादै खोट’ पंक्ति में ‘गढ़ि-गढ़ि कादै खोट’ का आशय स्पष्ट कीजिए। गुरु-शिष्य के संबंध का आदर्श रूप क्या है?

उत्तर : 

कबीरदास इस दोहे में गुरु और शिष्य के संबंध को कुम्हार और घड़े के संबंध से जोड़ते हैं। जैसे कुम्हार घड़े को एक हाथ से भीतर से सहारा देता है और दूसरे हाथ से बाहर से ठोंक-पीटकर उसका आकार संवारता है, उसी तरह गुरु भी शिष्य का निर्माण करता है। गुरु एक ओर शिष्य को मार्गदर्शन और सहारा प्रदान करता है, तो दूसरी ओर उसकी कमियों को सुधारने के लिए डांटता-फटकारता है। इस प्रक्रिया से शिष्य का व्यक्तित्व निखरता और संवरता है।

प्रश्न : 3. “जो जल बादै नाव में, घर में बाढ़े दाम ।।

             दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानो काम ।।”

             इस दोहे में धन के अर्थ में ‘दोऊ हाथ उलीचिए’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर : 

कवि कबीरदास इस दोहे में धन के महत्व और उसके संतुलित उपयोग का संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि जैसे नाव में पानी भर जाने पर उसे तुरंत बाहर निकाल दिया जाता है ताकि नाव डूब न जाए, वैसे ही जीवन में जब अत्यधिक धन एकत्र हो जाए, तो उसे दान आदि के माध्यम से खर्च कर देना चाहिए। अत्यधिक धन, जैसे नाव के लिए पानी, जीवन को भी डुबो सकता है। समझदार लोग समय पर इसे पहचानकर धन का सदुपयोग कर लेते हैं और जीवन को हल्का और संतुलित बना लेते हैं।

प्रश्न : 4. ‘करत-करत अभ्यास तें… दोहे में मूर्ख के लिए ‘जड़मति’ शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है?

उत्तर : 

प्रस्तुत दोहे में कवि वृंद यह कहते हैं कि निरंतर अभ्यास से एक मंदबुद्धि व्यक्ति भी प्रखर बुद्धि वाला बन सकता है। यहां “जड़मति” का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जिसकी बुद्धि स्थिर, निष्क्रिय या धीमी हो। “जड़” का तात्पर्य है ठहरा हुआ या निर्जीव। कवि यह समझाते हैं कि यदि व्यक्ति लगातार प्रयास और अभ्यास करता है, तो उसकी स्थिर या मंद बुद्धि भी सक्रिय और प्रखर बन सकती है।

प्रश्न : 5. निम्नलिखित दोहे में निहित भाव-सौंदर्य का उल्लेख करते हुए अपने अनुभव के आधार पर प्रस्तुत कीजिए :

नैना देत बताय सब, हिय को हेत अहेत ।। 

जैसे निर्मल आरसी, भली-बुरी कहि देत ।।

उत्तर : कहते हैं कि आंखे हमारी आत्मा का आईना होती हैं। आंखों से व्यक्ति के स्वभाव का पता चल जाता है। कुछ लोगों की आंखे बहुत महुत कोमल और मासूम होती हैं। इससे उनके सरल हृदय होने का पता चलता है। जानवरों की आंखे कितनी निश्छल होती हैं विशेषकर गाय की। तात्पर्य यह है कि आंखों से हृदय में छुपे भावों का पता चल जाता है। जिस तरह दर्पण हमारे चेहरे को जैसा का तैसा दिखा देता है उसी तरह आंखें भी हमारे हृदय के भावों को पूर्णतया स्पष्ट कर देती हैं।

प्रश्न : 6. निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम शब्द छाँटकर लिखिए

कुल, सुरा, गुरु, कुम्हार, कुंभ, निदंक, सुभाय, जल, घर, हाथ, काम, पावस, मौन, खून, प्रीति, जहान।

उत्तर : कुल, सुरा, गुरू, कुम्भ, जल, धर, मन, प्रीति

प्रश्न : 7. निम्नलिखित दोहों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

कबिरा गर्व न कीजिए, काल गहे कर केस। 

क्या जानौं कित मारिहै, क्या घर क्या परदेस ।।

रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय। 

सुन इठलैहैं लोग सब, बाँट न लइहै कोय ।।

(i) काल गहे कर केस’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

(ii) कबीर ने घमंड करने के लिए क्यों मना किया है?

(iii) मन की व्यथा को छिपाकर क्यों रखना चाहिए।

उत्तर : 

(i). ‘काल गहे कर केस’ का अर्थ है कि मृत्यु सदैव हमारे बालों को अपने हाथों में पकड़े रहती है, अर्थात हमारा जीवन मृत्यु के नियंत्रण में है और किसी भी क्षण समाप्त हो सकता है।

(ii). कबीर हमें घमंड न करने की शिक्षा देते हैं, क्योंकि मृत्यु हर समय हमारे सिर पर मंडराती रहती है। हमें नहीं पता कि कब यह जीवन समाप्त हो जाए। ऐसे में घमंड करने का कोई औचित्य नहीं है।

(iii). मन की व्यथा को छुपाकर रखना चाहिए, क्योंकि यदि इसे दूसरों को बताया जाए तो वे इसे समझने या बांटने के बजाय मजाक ही उड़ाएंगे। इसलिए अपनी पीड़ा को अपने तक ही सीमित रखना बेहतर है।

प्रश्न : 8. नीचे दिए गए दोहे में ह्रस्व और दीर्घ का चिह्न अंकित करके मात्राएँ गिनिए

जो जल बादै नाव में घर में बादै दाम । 

दोऊ हाथ उलीचिए यही सयानो काम ।।

उत्तर : इस दोहे में २२ मात्रा है।